भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान है हरियाणा रानी रामपाल
अर्जुन अवॉर्ड, राजीव गाँधी खेल रत्न अवॉर्ड और पदमश्री से सम्मानित रानी रामपाल टोक्यो ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाली भारतीय महिला hockey टीम की कप्तान हैं। वे हरियाणा के शाहबाद मारकंडा की निवासी हैं। वहीं पर उन्होंने hockey stick संभाली और प्रसिद्ध कोच बलदेव सिंह के सानिध्य में अपने हुनर को तराशा।
रानी ने जून 2009 में करीब 14 साल की उम्र में अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला। रूस में हुए चैंपियंस चैलेंज टूर्नामेंट में उन्होंने 4 गोल किए और टूर्नामेंट को top scorer रहीं। अपने इस पहले ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में उन्हें “young player of the tournament” भी चुना गया। रानी ने 2009 में हुए एशिया कप के दौरान भारत को रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई। वह 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों (commonwealth games) के साथ-साथ एशियाई खेलों के दौरान भी भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। एशियाई खेलों में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर रानी को 2010 के लिए “यंग वोमेन प्लेयर ऑफ द ईयर” अवार्ड प्रदान किया गया। इसके अलावा वे “एफआईएच वोमेन्स आल स्टार टीम” और “आल स्टार टीम ऑफ एशिया” के लिए भी चुनी गईं।
रानी रामपाल 2010 में 15 साल की उम्र में महिला विश्व कप में हिस्सा लेने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बनीं। अर्जेंटीना के रॉजारियो में हुए वर्ल्ड कप के दौरान उन्होंने कुल सात गोल किए। इस प्रदर्शन के बल पर भारत टूर्नामेंट में नौंवें स्थान पर रहा, जो 1978 के बाद उसकी सबसे बेस्ट पोजीशन थी। रानी टूर्नामेंट की टॉप स्कोरर रहीं और उन्हें “यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट” का अवॉर्ड प्रदान किया गया।
इसके तीन साल बाद 2013 में हुए junior women hockey team ने विश्व कप में कांस्य पदक जीता, जो world cup hockey tournament में 38 साल बाद भारत का पहला मेडल है। इस जीत का श्रेय बहुत हद तक Rani Rampal को जाता है। रानी ने टूर्नामेंट में तीसरे स्थान के लिए इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए मैच में दो गोल दागे और 38 साल बाद भारत की झोली में मेडल डाला।
सेंटर फॉरवर्ड की पोजीशन पर खेलने वाली रानी ने 2016 रियो ओलंपिक खेलों के लिए भारत का टिकट पक्का करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे 2017 के महिला एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक विजेता टीम की भी सदस्य रहीं। इसी के दम पर भारत ने 2018 के वर्ल्डकप के लिए क्वालीफाई किया था। उनकी कप्तानी में भारत ने 2018 के एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। वे भारतीय दल की ध्वजवाहक भी रहीं।
रानी की कहानी अपनी हिम्मत के बल पर तमाम बाधाओं और मुसीबतों से संघर्ष करके जीत हासिल करने की कहानी है। उनके पिता आजीविका के लिए तांगा चलाते थे। भाई-बहनों में सबसे छोटी रानी के दो बड़े भाई हैं। बड़े भाई बढ़ई का काम करते थे, जबकि दूसरे भाई एक दुकान पर सहायक थे। परिवार के हालात बहुत अच्छे न होने के बावजूद रानी ने अपने खेल से ध्यान नहीं भटकने दिया। अपने प्रदर्शन के बल पर उन्होंने रेलवे में क्लर्क की नौकरी हासिल की और खेल के साथ-साथ परिवार की भी जिम्मेदारी संभाली।
रानी की सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत, परिवार के सहयोग और कोच बलदेव सिंह के प्रोत्साहन व भरोसे की मुख्य भूमिका रही है। इसी के चलते वे लगातार आगे बढ़ती गईं और दुनिया की बेहतरीन खिलाड़ियों में शामिल हो पाईं। देश के हज़ारों खिलाड़ियों की प्रेरणास्रोत और हरियाणा की युवा लड़कियों की आदर्श रानी रामपाल वर्तमान में भारतीय खेल प्राधिकरण में सहायक कोच के रूप में कार्यरत हैं।
टोक्यो ओलंपिक के लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं!
– अविनाश सैनी
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