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क्या है पूरा मामला?
दिनांक 30 दिसंबर को तड़के भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी Rishabh Pant का रुड़की के नारसन बॉर्डर पर हम्मदपुर झाल के पास accident हो गया। उनकी कार रेलिंग से टकरा गई और वे सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए। Accident में उनकी मर्सिडीज कार जलकर खाक हो गई। Pant अपने परिजनों से मिलने घर जा रहे थे। वे खुद कर चला रहे थे और गाड़ी में अकेले थे। कहा जा रहा है हादसा झपकी आने के कारण हुआ।
ऋषभ के सिर, पीठ और पैर में गंभीर चोट आई है। पैर में फ्रैक्चर भी बताया जा रहा है। लेकिन शुक्र है कि इतने बड़े accident के बावजूद पंत की जान बच गई और उन्हें ज़्यादा गंभीर चोट भी नहीं लगी। पंत की जान बच गई और उसका एक बड़ा कारण यह रहा कि accident के तुरंत बाद उन्हें सहायता मिल गई। कार में आग लगने से पहले ही लोगों ने उन्हें बाहर निकाल लिया। अगर उन्हें कार से बाहर निकालने में ज़रा सी भी देर हो जाती, तो न जाने क्या होता!
Pant की जान बचाने में सबसे बड़ा हाथ है हरियाणा रोडवेज़, पानीपत डिपो के driver Sushil Kumar, conductor Paramjeet Nain और उनकी बस के यात्री। चालक Sushil ने हादसे के बारे में कुछ इस तरह बताया – “मैं गांव बल्ला, जिला करनाल का निवासी हूं और हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर हूं। हम हरिद्वार से आ रहे थे और 4.25 मिनट पर वहां से चले थे। जैसे ही हम नारसन के पास पहुंचे, तो 200 मीटर पहले मैंने देखा कि दिल्ली की तरफ से एक कार डिवाइडर से टकराकर पलटती हुई हरिद्वार साइड में आ गई।
मैंने सोचा, अब तो ये हमारी बस से टकराएगी और हम सब मरेंगे। मेरे पास केवल 50 मीटर का फासला था। तभी मैंने बस को सर्विस लेन से निकालकर फर्स्ट लेन में बस डाल दिया। वह गाड़ी हमारी बस के सामने पलटकर दूसरी लाइन में निकल गई। उनकी गाड़ी के कुछ पार्ट टूट कर हमारी बस को लगे, जिससे बस के शीशे टूट गए। कार रेलिंग से टकराकर दोबारा सीधी हो गई। मैंने तुरंत ब्रेक लगाए और खिड़की से कूदकर कार की तरफ भागा।
मैंने देखा कि एक व्यक्ति (Pant) कार से आधा बाहर था। मैं उसका हाथ पकड़कर बाहर निकालने लगा, तभी कंडक्टर भी साथ आ गया। तभी हमने देखा कि कार कार की दिग्गी में आग लगनी शुरू हो गई है। हमने उन्हें जल्दी से बाहर निकाला और साइड में डिवाइडर पर लिटा दिया। पहले हमें लगा कि उसकी मौत हो चुकी है, पर बाद में वह हिला डुला और बोला तो शुक्र मनाया कि सिर्फ घायल हुआ है।
अभी तक हमें पता नहीं था कि वे कौन हैं। उन्होंने खुद बताया कि वे Rishabh Pant हूं। क्योंकि मैं क्रिकेट का शौकीन नहीं हूं, तो ज्यादा जानता नहीं था, लेकिन कंडक्टर ने कहा कि यह भारतीय क्रिकेटर है।
उनके पूरे चेहरे पर खून था। पीठ छिली हुई थी। कार जलते देख हम कार की तरफ गए और देखने लगे कि कोई और तो नहीं है। फिर उनसे पूछा कि भाई साहब कार के अंदर कोई और भी व्यक्ति है क्या? उन्होंने कहा कि नहीं,वे अकेले हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कार में उनके पैसे और सामान भी है। हमने कार में व आसपास रोड पर जितने भी पैसे बिखरे थे, वे सात-आठ हजार रुपए इकट्ठा करके उनके हाथ में दे दिए। गाड़ी से लाकर सामान भी उन्हें सौंप दिया।
उनके पास ठंड से बचने के कपड़े नहीं थे। हमने अपने एक यात्री से लेकर उसे चादर दी। एम्बुलेंस के आने तक हम वहीं रहे। कंडक्टर ने एंबुलेंस को फोन कर दिया था। मैंने पुलिस को और नेशनल हाईवे को भी फोन किया था। नेशनल हाईवे से कोई जवाब नहीं आया, लेकिन एंबुलेंस आ गई 15 मिनट बाद ही। हमनें उन्हें एंबुलेंस में बैठाया, तभी वहां से चले। वे हड़बड़ाए हुए थे और पैर से लंगड़ा रहे थे।”
ऋषभ पंत की जान बचाने में मदद करने पर पानीपत डिपो के जीएम कुलदीप जांगड़ा ने सुशील और परमजीत नैन को सम्मानित किया है। हरियाणा रोडवेज के स्टॉफ ने एक आदमी की जान बचा कर इंसानियत का परिचय दिया है। हरियाणा रोडवेज के बहादुर सिपाहियों को सलाम!
- अविनाश सैनी
