रोहतक। स्थानीय सांस्कृतिक संस्था सप्तक के कलाकारों ने Punjabi University, patiala में चल रहे नेशनल थियेटर फेस्टिवल में सैयां भये कोतवाल (Saiyan Bhaye Kotwal) नाटक का मंचन किया अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। बसंत सबनीस द्वारा लिखे गए इस नाटक का निर्देशन विश्वदीपक त्रिखा ने किया जबकि प्रस्तुति अविनाश सैनी की रही। नाटक सैयां भये कोतवाल ने भाई-भतीजावाद और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के मुद्दे को बेहद संजीदा तरीके से उठाया और वर्तमान राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था पर गहरे कटाक्ष करते हुए दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
नाटक में एक राज्य के हवलदार की कहानी दर्शाई गई है, जिसका अब कोतवाल बनने का नम्बर है। वह बुजुर्ग कोतवाल के मरने का इंतज़ार कर रहा है और अपनी प्रेमिका मैनावती से शादी भी कोतवाल बनने के बाद ही करना चाहता है। कोतवाल मर जाता है, लेकिन अय्याश और राजकाज के प्रति लापरवाह राजा की कमजोरी का फायदा उठाकर राज्य का प्रधान अपने गंवार व अयोग्य साले को कोतवाल बना देता है। इस तरह हवलदार का सपना टूट जाता है और वह नए कोतवाल की असलियत राजा के सामने लाकर उसे हटवाने की योजना बनाता है। वह अपने साथी सिपाही तथा मैनावती के साथ मिलकर कोतवाल से राजा की कई सारी चीजें चोरी करवाता है, लेकिन राजा को चोरी का पता तभी चलता है, जब उसका पलंग भी चोरी हो जाता है। तब हवलदार राजा को सारी कहानी बताता है। ऐसी स्थिति पैदा होती है कि कोतवाल खुद सब कुछ अपने मुंह से बक देता है। अंत में राजा को अपनी गलती का ऐहसास होता है और वह राजकाज पर ध्यान देने का वायदा करने के साथ-साथ कोतवाल को पद से हटाकर हवलदार को नया कोतवाल बना देता है। इसके साथ ही हवलदार व मैनावती की शादी हो जाती है और नाटक की हैप्पी एंडिंग हो जाती है।
नौटंकी शैली में खेले गए इस नाटक सैयां भये कोतवाल में हवलदार की केंद्रीय भूमिका अविनाश सैनी ने निभाई। डॉ. सुरेन्द्र शर्मा ने कोतवाल और चेरी गिरधर ने मैनावती की भूमिकाओं को साकार किया। शक्ति सरोवर त्रिखा ने राजा, मनीष खरे ने प्रधान और सख्या तथा नवदीप ने सिपाही के किरदार निभाए। संगीत विकास रोहिल्ला और सुभाष नगाड़ा का रहा जबकि गायन मंडली में विकास रोहिल्ला, नितिन त्रिखा और कविता शर्मा रहे। मेकअप अनिल शर्मा ने किया और प्रोडक्शन तथा वस्त्रसज्जा की जिम्मेदारी उर्वशी विराट व समीर शर्मा ने निभाई।