सरकार के जुल्म के खिलाफ खुद को मारी गोली
सुसाइड नोट में लिखा है कि उन्होंने किसानों पर सरकार के जुल्म के खिलाफ आत्महत्या की है। संत नानकसर सम्प्रदाय के बाबा राम सिंह किसान होने के साथ-साथ हरियाणा एसजीपीसी के नेता भी थे।
सारी दुनिया। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की शहादत की फेहरिस्त लगातार बढ़ती जा रही है। 26 दिसंबर से शुरू हुए दिल्ली चलो आंदोलन के दौरान ही डेढ़ दर् के करीब किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। बीमारी, ठंड या दुर्घटना में जान से हाथ धोन वाले किसानों के अलावा अब क्षोभ के चलते खुद ही अपनी जान लेने वाले आंदोलनकारी भी शहीदों की सूची में शामिल हो गए हैं। इस कड़ी में पहला नाम संत बाबा राम सिंह का है, जिन्होंने आंदोलन के 21 वें दिन 16 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर स्थित धरना स्थल पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वे करनाल के रहने वाले थे और किसान होने के साथ-साथ हरियाणा एसजीपीसी के नेता भी थे। उनका एक सुसाइड नोट भी सामने आया है, जिसमें लिखा है कि उन्होंने किसानों पर सरकार द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के कारण आत्महत्या की है।
कथित सुसाइड नोट में संत बाबा राम सिंह ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए किसानों के हक में आवाज उठाई है। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है – “किसानों का दुख देखा। हक लेने के लिए सड़कों पर परेशान हैं। बहुत दिल दुखा है। सरकार न्याय नहीं दे रही। जुल्म है। जुल्म करना पाप है। जुल्म सहना भी पाप है।” वे आगे लिखते हैं – “किसानों को हक दिलाने के लिए यहां सबने योगदान दिया है। कइयों ने सम्मान वापस किए। यह दास किसानों के समर्थन और सरकारी जुल्म के खिलाफ आत्महत्या कर रहा है। मेरा यह कदम जुल्म के खिलाफ है और किसानों के हक में है। वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।”
करनाल के निसिंग में नानकसर गुरुद्वारे के प्रमुख 65 वर्षीय सन्त बाबा राम सिंह शुरू से ही आंदोलन में सक्रिय थे। सिंघु बॉर्डर पर मुख्य मंच के पीछे ही उनका टेंट था। वे मंच पर चौपाई का पाठ करते थे। इसके अलावा लोगों के बीच जाकर भी किसानों के उत्साह को बनाए रखने की कोशिशों में जुटे थे। उन्होंने आंदोलन के लिए करीब पांच लाख रुपए का दान भी दिया था। लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार के अड़ियल रुख के चलते वे खुद परेशान हो गए थे। उनके सहयोगियों के अनुसार, वे एक-दो दिन से काफी परेशान दिख रहे थे और बार बार कह रहे थे कि सरकार ने वार्ता बंद कर दी, बढ़ती सर्दी के चलते लोग तकलीफ में हैं और उनसे किसानों का यह दुःख देखा नहीं जाता।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, घटना के समय वे मंच के पीछे अपनी गाड़ी में बैठे थे। उन्हें मंच पर चौपाई का पाठ करना था। अभी आने की बात कहकर उन्होंने अपने ड्राइवर तथा सहयोगी अमनप्रीत सिंह को गाड़ी से बाहर भेज दिया। काफी देर होने पर जब वे लोग दोबारा उन्हें बुलाने गए तो वे खून से लथपथ पड़े थे। उन्हें गोली लगी हुई थी, पिस्तौल उनके हाथ में थी और पास में सुसाइड नोट पड़ा था। पुलिस के सहयोग से उन्हें पानीपत के एक निजी हॉस्पिटल में लाया गया, लेकिन तब तक वे दम तोड़ चुके थे।
संत बाबा राम सिंह की मौत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुःख जाहिर किया है। राहुल गांधी ने बाबा राम सिंह को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं। उन्होंने कहा कि इसके चलते कई किसान अपने प्राण गंवा चुके हैं।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि! उन्होंने आगे लिखा कि कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार क्रूरता की हर हद पार कर चुकी है। जिद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी कानून वापस लो।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह सिरसा सहित अनेक राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। करनाल और निसिंग क्षेत्र में भी शोक की लहर व्याप्त है। उनकी शहादत की खबर मिलते ही कड़ाके की ठंड के बावजूद देर रात को ही हज़ारों की संख्या में अनुयायी उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंच चुके थे। आपको बता दें कि संत राम सिंह के हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के अलावा कनाडा व अन्य देशों में भी लाखों अनुयायी हैं।