हर तान है दीपक (असलम ख़्वाजा) :
लेखक असलम ख़्वाजा के कॉलम पाकिस्तान के अख़बारों में छपते रहे हैं जिन में वे ख़ुद को ‘आवारागर्द’ कहते हुए अपनी बात रखते हैं। उन की इजाज़त से ‘सारी दुनिया’ के लिए उन के इस लेख को ज़रूरत के मुताबिक़ थोड़ी-बहुत सम्पादकीय छूट लेते हुए उर्दू से देवनागरी में लिप्यान्तरित कर के छापा जा रहा है। बात गीत-संगीत की और उस के असर और महत्व की है। लिप्यांतरण – रमणीक मोहन।
Please wait while flipbook is loading. For more related info, FAQs and issues please refer to DearFlip WordPress Flipbook Plugin Help documentation.
“सरहद पार से” के अन्य भाग
लाहौर, क़सूर और भिटाई की नगरी बिना नक़्शों का इक सफ़र – सलमान रशीदOpen Book Sarhad Paar Se 5Sarhad Paar Se 6 Sarhad Paar Se 7