- देश में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी, रोज़ औसतन 381 लोगों ने की आत्महत्या
- 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- कुल 1,39,123 लोगों में की आत्महत्या।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार देश में आत्महत्या की प्रवृति बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शहरों में गांवों के मुकाबले ज़्यादा आत्महत्याएं हुई हैं। इसके अलावा, महिलाओं की तुलना में दोगुने से भी ज़्यादा पुरुषों में आत्महत्या का रुझान पाया गया। इससे लगता है है कि महिलाएं मानसिक तौर पर अधिक मजबूत हैं और खराब परिस्थितियों में भी मानसिक संतुलन बनाए रखती हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुल आत्महत्याओं में से लगभग आधे मामले 5 राज्यों, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल और कर्नाटक में मिले। ज़्यादातर लोगों ने पारिवारिक कारणों के चलते अपनी जीवनलीला समाप्त की है।
2019 में भारत में प्रतिदिन औसतन 381 लोगों ने आत्महत्या की है। यानी, एक साल में कुल 1,39,123 लोगों ने खुद ही अपनी जान ली है। आंकड़ों के अनुसार, 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल जहां 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की थी, वहीं 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 लोगों ने अपनी जीवनलीला समाप्त की थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2019 में शहरों में आत्महत्या की दर 13.9 प्रतिशत रही जबकि आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10.4 प्रतिशत थी। यानी, गांवों में आत्महत्याएं काफी कम हुईं। आंकड़ों के अनुसार 2019 में आत्महत्या के मामलों में 53.6 प्रतिशत लोगों ने फांसी लगाकर जान दी, वहीं 25.8 प्रतिशत लोगों ने जहर खाकर अपना जीवन समाप्त किया। 5.2 प्रतिशत लोगों ने पानी में डूबकर आत्महत्या की, तो 3.8 प्रतिशत लोगों ने आत्मदाह किया।
एनसीआरबी के अनुसार आत्महत्या के 32.4 प्रतिशत मामलों में लोगों ने पारिवारिक समस्याओं के चलते और 5.5 प्रतिशत लोगों ने वैवाहिक समस्याओं के चलते अपनी जीवनलीला समाप्त की है। इसके अलावा 17.1 लोगों ने बीमारी के चलते आत्मघाती कदम उठाया है।
आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या के प्रत्येक 100 मामलों में से 29.8 महिलाएं और 70.2 पुरुष रहे। इनमें से लगभग 68.4 प्रतिशत पुरुष विवाहित थे और विवाहित महिलाओं का अनुपात 62.5 प्रतिशत था।
आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आए जहां 18,916 लोगों ने अपना जीवन समाप्त किया। इसके बाद तमिलनाडु में 13,493, पश्चिम बंगाल में 12,665, मध्य प्रदेश में 12,457 और कर्नाटक में 11,288 लोगों ने आत्महत्या की।
इन पांच राज्यों में आत्महत्या के करीब 49.5 प्रतिशत मामले सामने आए, जबकि शेष 50.5 मामले अन्य 24 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों में सामने आए। सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में अपेक्षाकृत कम, यानी केवल 3.9 प्रतिशत लोगों ने आत्महत्या की। देश में सबसे अधिक 18916 आत्महत्याएं महाराष्ट्र में हुई हैं, जबकि नागालैंड में सबसे कम, 41 आत्महत्याएं हुई हैं।
हरियाणा में आत्महत्याएं:
हरियाणा की बात करें, तो गत वर्ष प्रदेश में 4191 लोगो ने आत्महत्या की जिसमें 3297 पुरुष जबकि 894 महिलाएं थीं। हरियाणा में हुई आत्महत्याएं देश में कुल हुई आत्महत्याओं का तकरीबन 3 प्रतिशत रहीं। हालांकि प्रदेश में आत्महत्या की दर 14.5 रही, जो राष्ट्रीय दर से 4.1 ऊपर रही। हरियाणा में 2018 में यह संख्या 3547 थी। यानी, एक वर्ष में इस संख्या में 644 अर्थात 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
देश में 10 लाख से अधिक आबादी वाले 53 महानगरों में शामिल प्रदेश के फरीदबाद जिले (14 लाख से अधिक आबादी) में 2019 में 265 लोगो ने आत्महत्या की, हालांकि 2018 में यह आंकड़ा 149 था। इस प्रकार एक वर्ष में फरीदाबाद में आत्महत्याओं में 116 की वृद्धि हुई। इसके अलावा, पंजाब में जहां आत्महत्या के 643 मामलों की बढ़ोतरी हुई, वहीं चंडीगढ़ में 29 मामलों की कमी आई है। चंडीगढ़ में यह आंकड़ा 2019 में 131 और 2018 में 160 रहा।