छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukkhu) हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने हैं। इस कांग्रेसी दिग्गज का राजनीतिक सफर बेहद रोचक रहा है। छात्र नेता बनने के बाद सुक्खू ने नगर निगम शिमला से बतौर पार्षद के रूप में चुनावी राजनीति की शुरुआत की। वे नादौन से चार बार विधायक भी बने।
एनएसयूआई से राजनीति की शुरुआत : सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म 26 मार्च 1964 को हुआ। उनके पिता का नाम रसील सिंह है, जो हिमाचल प्रदेश परिवहन में बस ड्राइवर थे।उनकी पत्नी कमलेश ठाकुर हैं और उनकी दो बेटियां हैं। सुक्खू ने एनएसयूआई से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और संजोली कॉलेज में पहले कक्षा के सीआर और एससीए के महासचिव चुने गए। उसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में एससीए के अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से स्नातकोत्तर और एलएलबी की पढ़ाई की है।
सन 1988 से 1995 तक सुक्खू एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1995 में युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने और 1998 से 2008 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। नगर निगम शिमला के दो बार चुने हुए पार्षद बने। सुक्खू ने साल 1992 में पार्षद के पद हेतू अपना पहला चुनाव लड़ा था। पहले ही प्रयास में वे छोटा शिमला वार्ड से जीत हासिल कर नगर निगम सदन का हिस्सा बन गए। साल 1997 में वे दूसरी बार बड़े अंतर से छोटा शिमला वार्ड से पार्षद बने। सुक्खू 2003, 2007 और 2017 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इस चुनाव में वे चौथी बार नादौन से जीते। कांग्रेस ने उन्हें चुनाव प्रचार कमेटी का भी चेयरमैन बनाया था। राहुल गांधी के करीबी समझे जाने वाले सुक्खू हमेशा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विरोधी खेमे में रहे हैं।
कहा जाता है कि हिमाचल के नए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू कॉलेज के दिनों में सुबह छोटा शिमला बाजार में दूध और अखबार बेचते थे। उनका परिवार पहले कसुम्पटी में रहता था, बाद में छोटा शिमला शिफ्ट हो गया। सुक्खू के साथी रहे पार्षदों के अनुसार, सुखविंद्र सिंह ने साधारण व्यक्ति का जीवन जीया है। ऐसे में उन्हें पता है कि आम जनता की क्या परेशानियां रहती हैं। उन्होंने बताया कि सुक्खू काफी संघर्षशील और मेहनती हैं।