रोहतक, 11 अक्टूबर। ‘क्या औरत केवल उपभोग की वस्तु है? क्या वह भेड़-बकरी है, क्या उसकी भावनाएं आहत नहीं होती? क्या रसोई और घर की चार दिवारी से बाहर उसका कोई वजूद नहीं है?’ संडे थियेटर के तहत इस सप्ताह के नाटक ‘रीढ़ की हड्डी’ ने ऐसे ही ज्वलंत सवालों को उठाया और पुरुषवादी मानसिकता पर करारे कटाक्ष किए। सप्तक रंगमंडल, पठानिया वर्ल्ड कैंपस और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस मंचन ने शादी से पहले लड़की को देखने की परंपरा के माध्यम से दिखाया कि हम भले कितने ही पढ़-लिख गए हों, कितने ही आधुनिक हो गए हों, लेकिन महिलाओं को लेकर हमारी सोच अभी भी बहुत संकुचित और दोयम दर्जे की है। इसके चलते हमने विवाह जैसे पवित्र रिश्ते का भी बाजारीकरण कर दिया है, जो किसी लड़की और उसके परिवार के लिए काफी पीड़ादायक है। नाटक की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि यह इतनी गंभीर सामाजिक समस्या को हंसी-हंसी में और प्रभावशाली ढंग से कहने में सफल रहा।
विरल आर्य के निर्देशन में भाव आर्ट्स, फिल्म एवं थियेटर एसोसिएशन, दिल्ली की इस नाटक में पढ़े-लिखे पिता-पुत्र शादी के लिए लड़की देखने जाते हैं। उनकी शर्त है कि लड़की ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि लड़कियों का काम नौकरी करना नहीं, बल्कि बच्चे पैदा करना, चूल्हा-चौका संभालना और पुरुषों की सेवा करना होता है। अच्छे रिश्ते की चाहत में लड़की के पिता अपनी उच्च शिक्षित लड़की को कम पढ़ी-लिखी बता देते हैं। लेकिन लड़की देखने के दौरान वे लड़की से ऐसा व्यवहार करते हैं, जैसे वह कोई जिंदा इंसान न होकर निर्जीव वस्तु है, जिसे बाजार से खरीदना है। अंत में लड़की इस शादी से इंकार कर देती है और बताती है कि सुशील पत्नी की इच्छा रखने वाला वह लड़का खुद कितना बदचलन है।
जगदीश चंद्र माथुर के लिखे इस नाटक में निशा ने लड़की, रामस्वरूप ने उसके पिता व तंजिल उर्फ तनिष्का आर्य ने माता का जीवंत अभिनय किया। माइकल जय टिग्गा ने लड़के, खिलेश्वर ने पिता व साहिल जय टिग्गा ने नौकर के रूप में काफी प्रभावित किया। मंचन के दौरान स्टैंड अप कॉमेडियन और इंडियन लॉफ्टर चेलेंज के फाइनलिस्ट विश्वास चौहान, सप्तक के अध्यक्ष विश्वदीपक त्रिखा, डॉ. रमन नरूला, प्रो. राजेन्द्र शर्मा, प्रो. मनमोहन, पत्रकार सुनित धवन, धर्मेंद्र कंवारी, वीरेन्द्र फौगाट, परमिंदर पाल, डॉ. इंदू पाल, डॉ. अजय बल्हारा, डॉ. हरीश वशिष्ठ, यतिन वाधवा, ब्रह्मप्रकाश, बजिन्दर सिंह, श्रीभगवान शर्मा, जगदीप जुगनू, सुरेन्द्र धौला, पंकज शर्मा, शक्ति सरोवर त्रिखा, अविनाश सैनी, विकास रोहिल्ला, मनोज कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे। मंच संचालन सुजाता रोहिल्ला ने किया।
सप्तक के सचिव अविनाश सैनी ने बताया कि हर रविवार को सांय 6.30 बजे स्थानीय आईएमए हाल में होने वाले सन्डे थियेटर में 17 अक्टूबर को वीकेंड थियेटर एंड फिल्म्स, दिल्ली द्वारा अजहर खान व मोहित गुप्ता के निर्देशन में महाभारत की कथा पर आधारित नाटक ‘महारथी’ का मंचन किया जाएगा। प्रवेश सभी के लिए निशुल्क रहेगा।