– मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर का लिखा हुआ है नाटक
– एनएसडी ग्रेजुएट व फिल्म अभिनेता राजेश तिवारी ने किया निर्देशन
– जान देकर चुकाई चरणदास ने सच बोलने की कीमत
रोहतक, 2 नवम्बर। सप्तक रंगमंडल, सोसर्ग और पठानिया वर्ल्ड कैंपस के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित घरफूंक थियेटर फेस्टिवल में इस बार मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर के नाटक ‘चरणदास चोर’ का मंचन हुआ। पठानिया स्कूल में हुई इस प्रस्तुति में चरणदास नामक चोर को सच बोलने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। नाटक के माध्यम से दर्शाया गया कि शासन के लिए सच बोलना चोरी से भी बड़ा जुर्म है। आवरण आर्ट सोसाइटी दिल्ली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत चरणदास चोर का निर्देशन राजेश तिवारी ने किया।
नाटक की कहानी एक शातिर लेकिन मानवीय गुणों वाले एक चोर के इर्दगिर्द घूमती है। चरणदास नामक यह चोर पुलिस से बचते हुए एक साधु के आश्रम में पहुंचता है। वहां वह बड़बोलेपन में कभी सोने की थाली में खाना न खाने, हाथी की सवारी न करने, किसी देश का राजा न बनने और रानी से शादी न करने का प्रण ले लेता है। वह समझता है कि उस जैसे चोर के जीवन मे ऐसा मौका कभी नहीं मिल सकता। इसके साथ ही गुरुजी के कहने पर वह सच बोलने का प्रण भी ले लेता है। धीरे-धीरे सच बोलते हुए वह बड़ी चोरियां करता है और काफी मशहूर हो जाता है। अपनी अंतिम चोरी के रूप में सरकारी कोष में चोरी करने के बाद राज्य की रानी उसे दिल दे बैठती है। इसके बाद उसे सोने की थाली में खाने, हाथी की सवारी करने, रानी से शादी करने व राजा बनने का प्रस्ताव मिलता है, लेकिन वह अपने प्रण से पीछे नहीं हटता। नाटक के अंत में, सच बोलने की शपथ के कारण उसे मार दिया जाता है।
नाटक में चरणदास के रूप में शेखर सिंह ने बेहतरीन अभिनय किया। लूना (रानी), दीपक आनंद (साधू), आनंद रावत (हवलदार), वर्षा यादव (सेठानी ने भी प्रभावित किया। इनके अलावा आशीष, शक्ति, सुरजीत, दीपक, प्रदीप, भुवन, अनमोल, समीर, इरतिज़ा और मुक्तबीर ने भी अपने-अपने पात्रों से बखूबी न्याय किया। तोश, मुरारी, भुवन, आदर्श, प्रदीप व अनमोल ने गायन पक्ष और जतिन ने प्रकाश व्यवस्था को संभाला।
इस से पूर्व आकाशवाणी रोहतक के पूर्व निदेशक रामफल चहल, अंशुल पठानिया, राजेश तिवारी, धर्मेन्द्र कंवारी, विश्वदीपक त्रिखा, अजय बल्हारा ने दीप प्रज्वलित कर नाटक का शुभारंभ किया। सप्तक के सचिव अविनाश सैनी व मंच संचालक सुजाता ने बताया कि नाटक के निर्देशक राजेश तिवारी देश के जाने-माने अभिनेता और निर्देशक हैं। वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के ग्रैजुएट हैं और विभिन्न नाटकों के 1500 से अधिक मंचनों का हिस्सा रह चुके हैं। दस वर्ष तक श्रीराम सेन्टर रंगमंडल के प्रमुख रहे तिवारी रावड़ी राठौर, पद्मा, अपहरण, पल पल दिल के पास, घनचक्कर, कर्कश, मेड इन हैवन आदि फिल्मों सहित साईं बाबा, ये रिश्ता क्या कहलाता है, प्यार का दर्द है, हातिम सरीखे अनेक धारावाहिकों और टेली फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं।
सप्तक के अध्यक्ष त्रिखा ने बताया कि पूर्ण रूप से कलाकारों व कलाप्रेमियों के आर्थिक सहयोग से किए जा इस आयोजन में देशभर के नामी कलाकार व नाटक मंडली अपने खर्च पर आकर नाटक करते हैं। इसके बावजूद उन्हें नाटक करने के लिए स्थाई स्थान नहीं मिल पा रहा। यह नाटक भी सुपवा के अधिकारियों व छात्रों के अनुरोध पर सुपवा में होना था, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें मना कर दिया गया। इस मौके पर अंशुल पठानिया ने आश्वासन दिया कि जब तक उन्हें उपयुक्त स्थान नहीं मिलता, वे पठानिया स्कूल में यह नाटक कर सकते हैं। उन्होंने यहां नाटक के लिए सभी जरूरी व्यवस्था करने का भी आश्वासन दिया। रामफल चहल ने भी हर संभव सहायता करने की बात कही।
दर्शकों में सेवानिवृत्त प्रिंसिपल डॉ. नक़वी, श्रीभगवान शर्मा, पवन गहलोत, अजय गर्ग, विकास रोहिल्ला, डॉ. सुरेन्द्र शर्मा, मनोज कुमार, महक कथूरिया, वजिन्दर सिंह व सोसर्ग के सिद्धार्थ भारद्वाज सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक शामिल रहे।