हाईकोर्ट की टिप्पणियां तल्ख, पर मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगा सकते : सुप्रीमकोर्ट
कोरोना फैलाने के सम्बंध में मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ चुनाव आयोग की याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने 6 मई को खारिज कर दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा,‘हाईकोर्ट लोगों की तकलीफ से परेशान थी। हम मानते हैं कि हाईकोर्ट की टिप्पणी कठोर थीं। लेकिन मौखिक टिप्पणी समय के साथ अतीत की बात हो जाती है। वह रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं होती। इसलिए उसे हटाया नहीं जा सकता।’
इस मामले में कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की आयोग की मांग को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, ‘हमारा मानना है कि अदालत तक खुली पहुंच संवैधानिक स्वतंत्रता का आधार है। संविधान का अनुच्छेद-191ए प्रेस की स्वतंत्रता को कवर करता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अदालत की कार्यवाही कवर करने की स्वतंत्रता में शामिल किया गया है।’
कोर्ट ने कहा कि कोरोना काल में इंटरनेट ने कोर्टरूम की रिपोर्टिंग में बड़ी भूमिका निभाई है। लोग सोशल मीडिया पर कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग पढ़ना पसंद करते हैं। यह एक तरह से ओपन कोर्ट की धारणा का आभासी (वर्चुअल) विस्तार है। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट भी इसे सही मानते हैं। कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग जजोंं के लिए अधिक जवाबदेही लाएगी। इससे न्यायिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बढ़ेगा। इसे रोकना अच्छा नहीं होगा।’ सुनवाई के दौरान पीठ ने माना कि चुनाव आयोग के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणियां कठोर थीं। जजों को संयम बरतने की जरूरत है। अदालती कार्यवाहियों में कड़ी टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है। इस के बावजूद, इन पर रोक लगाने का सवाल ही नहीं उठता।
कोर्ट की टिप्पणियां फैसले का नहीं, समाधान का अंग हैं – जस्टिस चंद्रचूड़
सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा, ‘कोर्ट में किसी मामले की सुनवाई के दौरान की जाने वाली टिप्पणियां फैसले का अंग नहीं हैं। बल्कि समाधान का हिस्सा हैं। अगर इस अभिव्यक्ति को हतोत्साहित किया गया, तो न्याय करने की प्रक्रिया बंद हो जाएगी। हालांकि, जजों को संयम बरतना चाहिए। अदालती कार्यवाहियों में कड़ी टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है। वहीं यह स्पष्ट करना भी जरूरी है कि मौखिक टिप्पणियां अदालती आदेश का हिस्सा नहीं होतीं। इसलिए यह याचिका खारिज की जा रही है।’
हाईकोर्ट ने कहा था कि अफसरों पर हत्या का केस चलना चाहिए
मद्रास हाईकोर्ट ने 26 अप्रैल को चुनावों से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से कहा था, ‘जब चुनावी रैलियां हो रही थीं, तब आप दूसरे ग्रह पर थे क्या? रैलियों के दौरान टूट रहे कोरोना प्रोटोकॉल को आपने नहीं रोका। बिना आपसी दूरी के नियम का पालन किए ही चुनावी रैलियां होती रहीं। आज के हालात के लिए आपकी संस्था जिम्मेदार है। कोरोना की दूसरी लहर के लिए आप जिम्मेदार हैं। चुनाव आयोग के अफसरों पर तो हत्या का मुकदमा चलना चाहिए।’
इस टिप्पणी को आयोग ने अपनी साख खराब करने वाला माना था। इसे हटवाने के लिए उसने पहले मद्रास हाईकोर्ट में अपील की। इसके अलावा, मीडिया पर अदालत की मौखिक टिप्पणियां प्रकाशित अथवा प्रसारित करने से रोक लगाने की मांग की। हाईकोर्ट ने दोनों ही मांगों को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।