भारत के लिए लगातार दो ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले खिलाड़ी सुशील का विवादों से पुराना रिश्ता
हाल ही में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में हुई जूनियर पहलवान सागर धनखड़ की हत्या में मुख्य आरोपी
18 दिन के बाद आए पुलिस की गिरफ्त में, 6 दिन का पुलिस रिमांड मिला
अब रेलवे की नौकरी गई और पद्मश्री अवॉर्ड भी दांव पर लगा

सारी दुनिया। भारतीय कुश्ती का पर्याय बन चुके पहलवान सुशील कुमार अपने ही एक दांव में इस कदर फंस गए हैं कि उनका सारा मान-सम्मान और कैरियर चौपट हो गया है। उन पर जूनियर चैंपियन सागर धनखड़ की हत्या का गंभीर आरोप है, जिसे कथित रूप से उसी छत्रसाल स्टेडियम में अंजाम दिया गया, जहां उन्होंने कुश्ती के दांव-पेंच सीखे और जहां से निकलकर विश्व कुश्ती की ऊंचाइयों को छुआ।
इस कृत्य ने न केवल सुशील की सारी साख मिट्टी में मिला दी है। गिरफ्तारी के बाद रेलवे ने उन्हें नौकरी से सस्पेंड कर दिया है। यही नहीं, उनके पद्म अवॉर्ड को भी वापिस लिए जाने का खतरा पैदा हो गया है।
जिन ओलंपिक खेलों में भाग लेना और एक पदक जीतना भी बेहद फख्र की बात होती है, उनमें सुशील ने लगातार दो पदक अपने नाम किए थे। वे लगातार दो ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले देश के इकलौते खिलाड़ी हैं। ओलंपिक में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल के अलावा वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप का मेडल भी उनके नाम है। इन उपलब्धियों के लिए उन्हें ‘अर्जुन अवार्ड’ और देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड’ से नवाजा गया। रेलवे ने उन्हें ऊंचे दर्जे की नौकरी दी। इतना ही नहीं, उन्हें पद्मश्री पुरस्कार भी प्रदान किया गया। कुल मिलाकर सुशील ने खेलों की दुनिया में हर वो मुकाम हासिल किया, जिसका ख्वाब कोई भी खिलाड़ी देख सकता है।
अपने खेल की बदौलत सुशील ने दुनिया भर में बेशुमार शौहरत कमाई। साथ ही उन्होंने करोड़ों की दौलत भी इकट्ठी की। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में खेल के जुड़े और दूसरी तरह के विवादों से भी उनका रिश्ता रहा है। रियो ओलंपिक में हिस्सेदारी को लेकर नरसिंह यादव से विवाद, नरसिंह यादव के डोप प्रकरण में कथित हिस्सेदारी और प्रवीण राणा के साथ झगड़े ने उनकी छवि को काफी दागदार किया। उन पर आरोप लगे कि वे किसी दूसरे पहलवान को उभरने नहीं देते, भले ही इसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों न करना पड़े। गाहे-बगाहे, उन पर रंगदारी, गैंगेस्टरों के साथ सांठ-गांठ करने और प्रॉपर्टीज के मामलों में शामिल होने के आरोप भी लगे। मगर उनका रुतबा इतना बड़ा था कि वे सब को मैनेज कर गए। परन्तु अब दिल्ली के मॉडल टाउन स्थित एक फ्लैट के किराए को लेकर हुए विवाद में सागर की बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या करने और दो अन्य को गंभीर रूप से घायल करने के आरोप उनके गले की फांस बन गए। उनके ही साथी द्वारा बनाई गई पूरे मामले की वीडियो सामने आने से उनकी मुश्किलें अधिक बढ़ गईं और उन्हें फरार होना पड़ा। पुलिस का दबाव बढ़ने और अदालत से अग्रिम जमानत न मिलने पर 18 दिन बाद वह पुलिस की पकड़ में आ गया। यहां यह बात भी सामने आई है कि उसे काला जेठड़ी नाम के कुख्यात गैंगस्टर से भी जान का खतरा था, क्योंकि सागर का जो साथी घायल हुआ है, वह काला जठेड़ी का करीबी माना जाता है। फिलहाल सुशील 6 दिन की पुलिस रिमांड पर है। सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार उसने पुलिस को बताया है कि उसका मकसद सागर को मारना नहीं था। वह सिर्फ सागर को सबक सिखाना चाहता था। वीडियो बनाने का मकसद भी यही था कि उसके नाम की दहशत बन जाए और कोई उससे पंगा न ले। लेकिन सागर की मौत हो गई और वीडियो बनाने वाला उसका साथी पुलिस की पकड़ में आ गया।
हत्याकांड में नाम आते ही सुशील की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई थी। पहले पुलिस ने उनके ठिकानों पर दबिश दी। फिर लुकआउट नोटिस जारी किया। एक लाख का ईनाम रखा गया और उनकी प्रॉपर्टी कुर्क करने की तैयारी भी शुरू कर दी। इसके साथ ही उनकी रेलवे की नौकरी पर भी सवाल उठने लगे। रेलवे के सूत्रों से जानकारी मिल रही थी कि उच्च स्तर पर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। अंततः 25 मई को भारतीय रेलवे ने सुशील को भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) से सस्पेंड कर दिया। रेलवे ने बाकायदा एक प्रेस रिलीज जारी कर इस बात की जानकारी दी। इसके बाद खेल के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियों और योगदान के लिए मिला पद्म अवॉर्ड की वापसी को लेकर भी चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। उन्हें सन 2011 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

