“ज़माने के जिस दौर से हम इस वक्त गुज़र रहे हैं अगर आप उससे अनजान हैं तो मेरे अफसाने पढ़िए। अगर आप इन अफसानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते, तो इसका मतलब है कि यह ज़माना नाकाबिले बर्दाश्त है।… मैं इस सभ्य सोसायटी की चोली क्या उतारूंगा, जो है ही नंगी।” ये संवाद हैं सप्तक…
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संडे थियेटर में होगा मंटों और गुलजार की तीन कहानियों का मंचन
विश्व रंगमंच दिवस और होली के उपलक्ष्य में 28 मार्च को संडे थियेटर में भारत-पाक बंटवारे के दर्द को समेटे तीन कहानियों का मंचन किया जाएगा। इनमें दक्षिण एशिया के मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो की कहानी ‘टोबा टेकसिंह’ और भारतीय फिल्मों के जाने माने गीतकार गुलजार की कहानी ‘सीमा’ तथा ‘रावी पार’ शामिल हैं।…
संडे थियेटर में हुआ हास्य नाटक ‘द मैरिज प्रोपोजल’
‘कहते हैं कि आमतौर पर झगड़ा पुरुष के अहम और स्त्री की ज़िद से शुरू होता है। नोक झोक तक तो ठीक है, लेकिन अगर तकरार लड़ाई-झगड़े में बदल जाए तो परिवार या रिश्तों के टूटने का सबब बन जाती है।’ यही बात उभरकर आई संडे थियेटर में 14 मार्च को हुए नाटक ‘द मैरिज…
नाटक ने बताई एक रंगकर्मी के जीवन की व्यथा
संडे थियेटर की आठवीं प्रस्तुति सप्तक रंगमंडल और पठानिया वर्ल्ड केंपस स्कूल द्वारा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, रोहतक के सहयोग से आयोजित संडे थियेटर में इस बार 7 मार्च को फरीदाबाद से आए बृज भारद्वाज द्वारा निर्देशित नाटक “कहानी रंगकर्मी की” का मंचन किया गया। बृज नाट्य मंडली द्वारा प्रस्तुत इस नाटक के लेखक मनीष जोशी…
संडे थियेटर में इस बार हुआ नाटक ‘आई लव हर, आई लव हिम’ का मंचन
‘जिंदगी में कुछ बनना है तो रिस्क तो लेना ही पड़ेगा।… गांव, जहां सुकून तो है, पर फ्यूचर नहीं है।…भीड़ में खोने के डर से भागकर गांव चले जाना आसान है जैसे आसान था गांव से भागकर यहां चले आना।… बस तुमने यही गलती कर दी कि तुम्हें सब कुछ जल्दी चाहिए, इसलिए मेहनत करने…