टीकाकरण और सावधानी ही है रोकने का उपाय
सारी दुनिया। देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर वैज्ञानिक एक ही बात बोल रहे हैं। सबका कहना है कि अगर टीकाकरण अभियान तेज ना किया और कोरोना से जुड़ी एहतियात बरतने में लापरवाही की तो 6 से 8 महीने में महामारी की तीसरी लहर आ सकती है। आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर का कहना है, “टीकाकरण अभियान में तेजी तो लानी लानी ही है। इसके अलावा कोरोना की रोकथाम के नियमों का भी पूरी तरह पालन करना होगा। तभी कोरोना की तीसरी लहर को रोका जा सकेगा। प्रोफेसर विद्यासागर सूत्र मॉडल के माध्यम से संक्रमण के उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाने वाले प्रमुख वैज्ञानिकों में शामिल हैं। उन्होंने इटली के सेन रैफेल अस्पताल के शोधकर्ताओं के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा है कि कोरोना से ठीक होने के 8 महीने बाद तक खून में एंटीबॉडी रहती हैं। इसके बाद एंटीबॉडी घटने लगती हैं, जिसका असर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है।
प्रोफेसर विद्यासागर के अलावा इंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के सीरो सर्वे में भी इसी तरह की बात निकलकर आई है। इसमें कहा गया है कि कोरोना से ठीक होने के पांच-छह महीनों में एंटीबॉडी में गिरावट आने लगती है। यही नहीं, केंद्र सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने भी कहा है कि जैसे-जैसे वायरस रूप बदलेगा, तीसरी लहर का खतरा बढ़ेगा।
कर्नाटक में कोरोना से बचाव के लिए गठित तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) ने भी कुछ इसी प्रकार की चेतावनी दी है। समिति के सदस्य डॉक्टर एच एल प्रसन्ना का कहना है कि कर्नाटक में कोरोना टेस्ट में कमी हो रही है। पहले प्रतिदिन 3 से 4 लाख टेस्ट हो रहे थे, जो घटकर अब 30,000 से 40,000 टेस्ट रह गए हैं। टेस्ट में इस तरह की कमी भी तीसरी लहर का कारण बन सकती है। आपको बता दें कि इससे पहले भी कई वैज्ञानिक भारत में महामारी की तीसरी लहर का खतरा बता चुके हैं। उनका मानना है कि टीकाकरण अभियान में तेजी लाकर और लॉकडाउन के नियमों का कड़ाई से पालन करके तीसरी लहर को रोका जा सकता है।
एक्सपर्ट एडवाइजरी ग्रुप के चीफ डॉ. नरेन्द्र अरोड़ा ने केस घाट रहे हैं और यही समय टीकाकरण को तेज करने का है। 70 फीसदी आबादी को टीका लगने के बाद ही देश कोरोना से सुरक्षित हो सकता है। यह जितनी जल्दी कर लिया जाए, उतना फायदा होगा।कोविड-19 नेशनल टास्कफोर्स के सदस्य डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि दिसंबर तक भीड़ वाले कार्यक्रम आयोजित करना खतरनाक साबित हो सकता है।