अमेरिका की एक संघीय अदालत ने नागरिकता और अन्य आव्रजन सुविधाओं के लिए ट्रम्प सरकार द्वारा प्रस्तावित भारी भरकम शुल्क वृद्धि पर रोक लगा दी है। औसतन 20 प्रतिशत की शुक्ल वृद्धि को तीन अक्टूबर से लागू होना था। इन बदलावों में शरण लेने के लिए आवेदन करने के लिए भी 50 अमेरिकी डॉलर का शुल्क निर्धारित करने का प्रस्ताव था।
अपने फैसले में अमेरिकी जिला जज जेफरी व्हाइट ने कहा कि सरकार अपने निर्णय को सही साबित करने में कामयाब नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि ‘ऐसा प्रतीत होता है कि होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के पिछले दो प्रमुख गैरकानूनी रूप से नियुक्त किए गए थे।’
असल में, अप्रैल 2019 में होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के तत्कालीन प्रमुख कर्स्टजेन नीलसन ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद केविन मैकलीनन को गलत तरीके से कार्यवाहक मंत्री नियुक्त किया गया था। जज ने कहा कि उस वक्त मैकलीनन कार्यभार संभालने के क्रम में नियमानुसार सातवें नंबर पर थे। इसी तरह, नवंबर 2019 में मैकलीनन के इस्तीफा देने के बाद कार्यवाहक मंत्री बने चॉड वुल्फ को भी समय से पहले पदोन्नति दी गई थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वुल्फ को नामित किया था, लेकिन सीनेट ने उनके नाम पर मोहर नहीं लगाई। अमेरिका में नागरिकता, ग्रीन कार्ड और अस्थाई वर्क परमिट जारी करने का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी अमेरिकी सिटीजनशिप और इमीग्रेशन सर्विसेज होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के आधीन ही काम करती है।
बता दें कि पिछले साल से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अमेरिका की नागरिकता पाना अब बेहद महंगा होने वाला है। ट्रंप प्रशासन ने नागरिकता फीस में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था। प्रशासन की दलील थी कि नागरिकता संबंधी सेवाएं मुहैया कराने की पूरी लागत मौजूदा शुल्क से वसूल नहीं हो पाती। ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा के आवेदन शुल्क में भी दस डॉलर (करीब 700 रुपए) की वृद्धि की थी। यह वीजा भारतीय आइटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है।