आर पी एजुकेशन सोसायटी रोहतक और सहयोग संस्था गढ़ी सांपला के संयुक्त तत्वाधान में ‘कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन : चुनोतियाँ एवम् अवसर’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए आर पी एजुकेशन सोसायटी के निदेशक डॉ. सतीश कुंडू ने आंकड़ों सहित विषय को प्रस्तुत किया।
उन्होंने ऑनलाइन एजुकेशन के लिए कंप्यूटर की उपलब्धता, इन्टरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति आदि की जरूरत को रेखांकित किया, जिससे बहुत से बच्चे महरूम हैं।वेबिनार की अध्यक्षता समाजशास्त्र के वरिष्ठ प्रोफ़ेसर डॉ. जितेंदर प्रसाद ने की।
रिटायर्ड प्रोफेसर हेमंत लता शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन के कारण हर घर ने कक्षा का रूप ले लिया है तथा बच्चों ने घर पर रहकर ही अपनी पढ़ाई जारी रखी हुई है। उन्होंने कहा कि हमें ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन एजुकेशन का समन्वय करके ही आगे बढ़ना होगा।
डॉ. सोनिया मलिक, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक ने बच्चों की समस्याओं, काउंसलिंग, मानसिक स्वास्थ्य, रूचि पैदा करने आदि विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने अभिभावकों और छात्रों से आह्वान किया कि वे इस गुणवत्तापरक समय को मिलकर अच्छे से बिताएं। उन्होंने विभाग द्वारा शुरू की गई टेलीकाउंसलिंग सुविधा के बारे में विस्तार से बताया।
प्रोफेसर आशीष दहिया, होटल टूरिज्म प्रबंधन संस्थान महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक ने बताया कि कोविड -19 के परिणामस्वरूप ‘दायरा रहित शिक्षा’ का प्रचलन बढ़ा है। उन्होंने शिक्षाविदों व अध्यापकों को भी तकनीक से जुड़ने का आह्वान किया तथा ऑनलाइन एजुकेशन को अपनी शिक्षण प्रणाली का हिस्सा बनांने पर जोर दिया। प्रोफेसर दहिया ने कहा कि ऑनलाइन एजुकेशन के लिए एक रेगुलेटरी बॉडी बनानी चाहिए।
मॉडल संस्कृति स्कूल सांघी के प्राचार्य जयपाल दहिया ने सरकारी स्कूलों में गाँव के बच्चों को वैकल्पिक साधनों से शिक्षण विधि से जोड़ने के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों को अभिनव तरीके से प्रस्तुत करके कुछ अध्यापक बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में ऐसे अनुभवों का लाभ अन्य स्थानों पर भी लिया जा सकेगा ताकि पढ़ाई को रुचिकर बनाया जा सके।
क्रॉस एंड क्लाइंब की निदेशक और गत 20 वर्षों से अध्यापन के क्षेत्र से जुडी सुनीता कुंडू ने ऑनलाइन एजुकेशन से जुडी चुनोतियों को अवसर के रूप में लेने पर बल दिया। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके संस्थान का एक मेधावी छात्र लिखित परीक्षा में सफल होने के बावज़ूद ऑनलाइन की अनभिज्ञता के चलते ऑनलाइन साक्षात्कार में अनुतीर्ण हो गया।
वेबिनार में कुल 96 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सत्यपाल खोखर, बल्ले राम, सरपंच सुशील, श्रीभगवान पहल, सुमन, दादरी से रामचंदर पुनिया, लन्दन से शोधार्थी उमंग, अमृतसर से काउंसलर नेहा, बलविंदरकौर, ज्योति, प्रवीन, नीरज दहिया, सत्येंदर मान, विकास त्रिवेदी, गौरव आदि प्रबुद्धजनों सहित अभिभावक, अध्यापक और छात्र शामिल थे।
व्याखयान के अंत में प्रश्नोतर काल रहा, जिसमें ऑनलाइन एजुकेशन के दौरान अध्यापकों के साथ-साथ अभिभावकों की जिम्मेवारी पर भी चर्चा हुई। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर जितेंदर प्रसाद ने कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन को ही शिक्षा जारी रखने का एकमात्र विकल्प बताया। संस्था के परियोजना प्रमुख सुनील कुमार तोमर ने सभी का धन्यवाद किया।