– विश्व कप के दो मैचों में टीम को दिलाई थी जीत
– अभिनेता दिलीप कुमार ने प्रतिभा को पहचाना
– साढ़े छह साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में 37 टेस्ट और 42 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले।
– नहीं देख पाए 1983 वर्ल्डकप टीम पर बनी फिल्म

सारी दुनिया। अपने हरफनमौला खेल से करोड़ों भारतीयों का दिल जीतने वाले क्रिकेटर यशपाल शर्मा का 13 जुलाई को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 66 वर्ष के थे। शर्मा 1983 में तब की नम्बर एक टीम वेस्टइंडीज को हराकर पहली बार world cup जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य थे। World cup के दौरान शर्मा ने अपनी शानदार बैटिंग और फिल्डिंग के दम पर बेहतरीन प्रदर्शन किया और भारत को विश्व विजेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्ल्डकप के हीरो

1983 World cup के हीरो रहे यशपाल ने ओपनिंग मैच में ही 89 रन की पारी खेलकर वर्ल्ड कप की पिच पर वेस्ट इंडीज की पहली हार की स्क्रिप्ट लिख दी थी। इसके अलावा, सेमीफाइनल मैच में भी उन्होंने 61 रन बनाए और टीम के टॉप स्कोरर रहे। इस मैच में उन्होंने बॉब विलिस की यॉर्कर जैसी गेंद पर लेग साइड में छक्का जमाया, जो आज भी क्रिकेट इतिहास के यादगार शॉट्स में शामिल है।
11 अगस्त 1954 को पंजाब के लुधियाना में जन्में यशपाल शर्मा दाएं हाथ के बल्लेबाज और पार्ट-टाइम गेंदबाज थे। शर्मा 1978 से 1985 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहे। अपने साढ़े छह साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होंने कुल 37 टेस्ट और 42 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। सन 1979 से 83 तक भारतीय मध्यक्रम का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा रहे यशपाल ने 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ सियालकोट में भारत के लिए अपना पहला वनडे खेला। इसके अगले ही साल, 1979 में उन्होंने लॉर्ड्स के मैदान पर टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट 1983 में वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में और आखिरी वनडे 1985 में इंग्लैंड के खिलाफ चंडीगढ़ में खेला।
यशपाल ने 37 टेस्ट मैचों में 2 शतकों सहित कुल 1606 रन बनाए। इसके अलावा, 42 वनडे मैचों की 40 पारियों में उन्होंने 883 रन बनाए। वनडे में उनका सर्वाधिक स्कोर 89 रन रहा, जो उन्होंने world cup में बनाया था। वनडे में उन्होंने चार अर्धशतक लगाए। यशपाल भारत की ओर से world cup में सर्वाधिक रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज थे। इसके अलावा, वे कभी शून्य पर आउट नहीं हुए। वे पंजाब की रणजी टीम के कप्तान और दो बार राष्ट्रीय चयनकर्ता भी रहे। उन्होंने कुछ समय तक अंपायरिंग भी की।
1988 में सक्रिय क्रिकेट से सन्यास लेने से पहले यशपाल ने 160 प्रथम श्रेणी और 74 लिस्ट-ए मैच भी खेले। प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने 44.9 की औसत से 8933 रन बनाए और 47 विकेट लेने के साथ-साथ 92 कैच पकड़े। लिस्ट-ए मैचों में उन्होंने 1859 रन बनाने के अलावा 28 कैच पकड़े और 13 विकेट लिए। उन्होंने वनडे और टेस्ट में भी एक-एक विकेट लिया।
अभिनेता दिलीप कुमार की वजह से आए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में

यह भी दिलचस्प बात है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यशपाल का पदार्पण दिवंगत अदाकार दिलीप कुमार की बदौलत हुआ। उन्होंने यशपाल की प्रतिभा को पहचाना और बीसीसीआई को उनके बारे में बताया। इस बारे में खुद यशपाल शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया था। असल में, दिलीप कुमार एक रणजी ट्रॉफी मैच देखने गए थे। यशपाल शर्मा उस मैच की दूसरी पारी में अपने दूसरे शतक के करीब थे। दिलीप साहब ने मैच के बाद बीसीसीआई अधिकारियों से बात की और कहा कि पंजाब का एक लड़का आया है, आप उसे देख लीजिए। उसमें अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेलने की क्षमता है। उनकी इस एक बात ने यशपाल के लिए अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के दरवाजे खोल दिए। दिलीप साहब के बहुत बड़े फैन यशपाल शर्मा ने भी उनके भरोसे को कायम रखा और क्रिकेट की दुनिया में बुलंदियों को छुआ।
मनोरंजन जगत में भी शोक की लहर
यशपाल के निधन से क्रिकेट के साथ-साथ मनोरंजन जगत में भी शोक की लहर है। असल में, डायरेक्टर कबीर खान ने 1983 का क्रिकेट world cup जीतने वाली टीम पर ’83’ के नाम से एक फिल्म बनाई है, जिसे वे उस टीम के सभी खिलाड़ियों को दिखाना चाहते थे। लेकिन यशपाल के अचानक निधन के बाद कबीर खान मायूस हैं। अपनी मायूसी को जाहिर करते हुए करीब खान ने कहा, ‘यह बेहद दुखद है। हमें सुबह इस बात की जानकारी मिली और यह शॉकिंग था। सभी क्रिकेटर्स हमारे लिए एक परिवार का हिस्सा बन गए थे। हमने सभी के साथ अच्छा वक्त गुजारा था। वे काफी महान कॉन्ट्रिब्यूटर भी थे। दो मैच तो वर्ल्डकप में ऐसे थे जिसमें यशपाल जी के कॉन्ट्रिब्यूशन के बिना भारतीय टीम आगे ही नहीं बढ़ सकती थी।’
उन्होंने कहा, ‘हम लोग यशपाल जी को 83 फिल्म दिखाने के लिए काफी उत्साहित थे। एक्टर जतिन सरना ने यशपाल जी का रोल शानदार तरीके से प्ले किया है। हमें अफसोस है कि हम उन्हें यह फिल्म नहीं दिखा सके। मेरी नजर में वे अपने समय के सबसे फिट और स्ट्रॉन्ग मैन थे।’ जतिन ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यशपाल का रोल करने के दौरान वे कई बार उनसे मिले थे। वे एक शानदार इंसान थे। इतिहास उन्हें कभी नहीं भूल पाएगा।