सारी दुनिया। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले दौर का मतदान 19 अप्रैल को सम्पन्न हो गया है। देश के 21 राज्यों की 102 सीटों पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मतपेटियों में बंद हो गया। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार, इस बार 2019 के मुकाबले काफी कम मतदान हुआ है, जिसने नेताओं और राजनीतिक पार्टियों के दिलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। इसी बीच उत्तर-पूर्व से एक बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई है। पता चला है कि सरकार से नाराज़गी के चलते नागालैंड में 6 जिलों के सभी 4 लाख वोटर्स ने अपना वोट नहीं डाला। जी हां! लोगों ने अपनी मांगों के पूरा न होने पर विरोध प्रदर्शन का यह अनूठा तरीका निकाला कि चुनावकर्मी 9 घंटे तक मतदाताओं का इंतजार करते रहे, लेकिन एक भी व्यक्ति वोट डालने नहीं आया। इतना ही नहीं, क्षेत्र के 20 विधायकों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया।
असल में, ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (Eastern Nagaland People’s Organisation), यानी ENPO लंबे समय से पूर्वी नागालैंड (Nagaland) के छह जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य Frontier Nagaland Territory बनाने की मांग कर रहा है। उसका आरोप है कि सरकारों ने आदिवासी बहुल इस इलाके में सामाजिक और आर्थिक विकास नहीं किया है। इसीलिए वे अलग राज्य की मांग कर रहे हैं, ताकि उस क्षेत्र का विकास हो और लोगों की परेशानियां कम हों। ईएनपीओ पूर्वी क्षेत्र के सात आदिवासी संगठनों का शीर्ष संगठन है।
फ्रंटियर नागालैंड क्षेत्र’ (Frontier Nagaland Territory) की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए ही ENPO ने मतदान से एक दिन पहले शाम 6 बजे इन छह पूर्वी जिलों में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद का आह्वान किया था और लोगों से कहा था कि वे लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में मतदान का बहिष्कार करें। साथ ही, ENPO ने लोगों को आगाह भी किया था कि यदि कोई मतदान करने जाता है और कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसका जिम्मेदार संबंधित मतदाता होगा। यही कारण है कि मतदानकर्मी बूथों पर नौ घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन क्षेत्र के चार लाख मतदाताओं में से एक भी मतदान करने नहीं आया।
आपको बता दें कि नागालैंड के 13.25 लाख मतदाताओं में से पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में 4,00,632 मतदाता हैं। नागालैंड के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी आवा लोरिंग ने कहा कि क्षेत्र के 738 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदानकर्मी मौजूद थे, जिसमें 20 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि उन नौ घंटों में सभी 20 विधायकों सहित कोई भी व्यक्ति वोट डालने नहीं आया। अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान जिला प्रशासन और अन्य आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर पूर्वी नागालैंड की सड़कों पर आम लोगों या वाहनों की कोई आवाजाही नहीं रही।
मुख्यमंत्री ने भी मांगों से सहमति जताई
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो (Neiphiu Rio) ने शुक्रवार को कहा कि ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन की एफएनटी की मांग से राज्य सरकार को कोई समस्या नहीं है। वह पहले ही इस क्षेत्र के लिए स्वायत्त शक्तियों की सिफारिश कर चुकी है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की राजधानी से करीब 41 किलोमीटर दूर तौफेमा स्थित अपने गांव में वोट डालने के बाद कहा कि उन्होंने एफएनटी के लिए ड्राफ्ट वर्किंग पेपर स्वीकार कर लिया है, जो उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में सौंपा गया था। उन्होंने कहा, “निर्वाचित विधायकों और प्रस्तावित एफएनटी के सदस्यों को सत्ता में हिस्सेदारी के अलावा सब कुछ ठीक लग रहा है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही एक स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी है, ताकि इस क्षेत्र को राज्य के बाकी हिस्सों के बराबर पर्याप्त आर्थिक पैकेज मिल सके।
वोट न डालने पर 20 विधायकों पर क्या कार्रवाई होगी?
क्या वोट नहीं डालने के लिए पूर्वी नागालैंड के 20 विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, “हम टकराव नहीं चाहते। देखते हैं क्या होगा।”