डेटा मांगने में अमेरिका सबसे आगे, भारत दूसरे स्थान पर
- इस साल जनवरी से जून के बीच वैश्विक स्तर पर डेटा मांगने के सरकारी अनुरोधों में हुई 23 फीसदी की बढ़ोतरी
- अमेरिका और भारत के बाद जर्मनी, फ्रांस तथा ब्रिटेन ने मांगे सर्वाधिक डेटा
- भारत में सरकार ने 57,294 यूजर्स और अकाउंट्स के लिए कुल 35,560 अनुरोध किए
पिछले दिनों दुनियाभर में सरकारों द्वारा फेसबुक यूजर्स का डेटा मांगने के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। फेसबुक की ताजा पारदर्शिता रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में जनवरी से जून के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेटा मांगने के सरकारी अनुरोध 23 प्रतिशत बढ़े हैं। उल्लेखनीय है कि इस तरह के मामलों में अमेरिका के बाद भारत का दूसरा स्थान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान भारत में सरकार ने 57,294 यूजर्स और अकाउंट्स के लिए कुल 35,560 अनुरोध किए।
फेसबुक का कहना है कि इस साल के पहले छह महीनों में उपयोगकर्ताओं के डेटा मांगने के लिए वैश्विक स्तर पर सरकारों द्वारा कुल 1,73,875 अनुरोध किए गए। इसके विपरीत, 2019 की दूसरी छमाही में ऐसे अनुरोधों की संख्या केवल 1,40,875 थी। रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की पहली छमाही में सबसे अधिक 61,528 अनुरोध अमेरिका से आए। ये अनुरोध 1,06,114 उपयोगकर्ताओं या अकाउंट के लिए किए गए थे। कंपनी ने इनमें से 88 प्रतिशत मामलों में कुछ डेटा पेश किया।
अनुरोधों का जवाब देने का फेसबुक का तरीका
फेसबुक के मुताबिक, वह सरकारी अनुरोधों का जवाब अपनी सेवा शर्तों और लागू कानून के अनुसार ही देता है। कोई भी निर्णय लेने से पहले हर अनुरोध की कानूनी पहलुओं के अनुरूप सावधानीपूर्वक समीक्षा की जाती है। फेसबुक के उपाध्यक्ष और डिप्टी जनरल काउंसल क्रिस सोनडर्बी का कहना है, ‘हम सरकारों को लोगों की जानकारी तक सीधी या परोक्ष पहुंच उपलब्ध नहीं कराते। हमारा मानना है कि ऐसा करके हम जानबूझकर अपनी सेवाओं को कमजोर करेंगे और इससे हमारे उपयोगकर्ताओं की आवश्यक सुरक्षा प्रभावित होगी।’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने 50 प्रतिशत मामलों में ही कुछ डेटा पेश किया है।
फेसबुक के अनुसार, समीक्षा की अवधि के दौरान, स्थानीय कानून के आधार पर सामग्री को प्रतिबंधित किए जाने के मामले 40 प्रतिशत बढ़ कर 22,120 हो गए हैं जो पहले 15,826 थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन छह महीनों के दौरान कंपनी ने नौ देशों में फेसबुक सेवाओं में व्यवधान के 52 मामलों की पहचान की। 2019 की दूसरी छमाही में यह संख्या 45 थी। रिपोर्ट के मुताबिक, गत छह माह में भारत में 824 सामग्रियों को प्रतिबंधित किया गया है।