कोरोना वायरस की जांच के लिए भारत में बनी सस्ती किट बाजार में आ चुकी है। पुणे की मायलैब डिस्कवरी ने किटों की शुरुआती खेप भी पुणे, मुंबई, गोवा और बेंगलुरू में भेज दी है। इससे ढाई घंटे में जांच रिपोर्ट आ जाती है, जबकि विदेश में मंगवाई गई किट 6-7 घंटे लेती है। इससे देश में कोरोना की जांच में तेजी आने की उम्मीद है। लेकिन यहां हम जो बात कर रहे हैं, वह एक महिला वैज्ञानिक के जज्बे और मानवता के प्रति समर्पण भाव से जुड़ी है। जी हां! हम जिक्र कर रहे हैं किट तैयार करने वाली टीम की प्रमुख वैज्ञानिक मीनल दखावे भोसले की, जिन्होंने गर्भावस्था के आखिरी दिनों तक लगातार काम किया और किट को विकसित कर बाजार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. मीनल ने 19 मार्च को एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया है। बेटी के जन्म से महज एक दिन पहले, 18 मार्च को, उन्होंने मूल्यांकन के लिए किट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को सौंपी। उसी शाम अस्पताल में भर्ती होने से कुछ घंटे पहले उन्होंने किट के कॉमर्शियल इस्तेमाल की अनुमति के लिए फूड एंड ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी (सीडीएससीओ) के पास भी प्रस्ताव भेजा। वह कहती हैं, ‘इमरजेंसी थी। इसलिए इसे चुनौती के तौर पर लिया।’ उनकी टीम ने 6 सप्ताह में ही किट को तैयार कर दिखाया, जबकि आमतौर पर इसमें 3-4 महीने का समय लग जाता है।
डॉ. मीनल को दिल से सलाम!