मुख्यमंत्री, स्पीकर, कई मंत्रियों, विधायकों और सुरक्षाकर्मियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद एक दिन में सिमटे प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार 12 विधायक पास कराने में कामयाब रही है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा तथा अन्य विपक्षी विधायकों ने रजिस्ट्री और शराब घोटाले में सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन उपमुख्यमंत्री की अगुवाई में सत्ता पक्ष ने न केवल उनको कड़े जवाब दिए बल्कि कई विधेयक भी पेश किए। यह बात अलग है कि समयाभाव, विपक्ष की आपत्तियों और कानूनी बाध्यताओं के चलते कई महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश नहीं किए गए। नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने का बिल राष्ट्रपति के पास लंबित है। उसे वापिस लिए बिना इस संबंध में विधेयक नहीं लाया जा सकता। इसलिए पूरी तैयारी के अभाव में सरकार इस विधेयक को विसा के पटल पर नहीं ला पाई। विपक्ष की आपत्तियों के चलते सरकार पंचायतो में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने और राइट टू रिकॉल से संबंधित विधेयक भी पेश नहीं कर पाई। इन्हें इसी सत्र में पेश करने का दावा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कई दिनों से कर रहे थे। जनता को भी इन विधेयकों की ‘मींह बरगी बाट’ थी।
सदन ने जिन 12 विधेयकों पर मोहर लगाई है, उन्हें अब राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
ये विधेयक इस प्रकार हैं –
- हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) संशोधन विधेयक, 2020
- हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा अग्निशमन सेवा (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा नगर मनोरंजन शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (द्वितीय संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2020
- हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2020
- हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2020
- हरियाणा मूल्य वर्धित कर (संशोधन) विधेयक, 2020 शामिल हैं।
राज्यपाल की मंजूरी के बाद इन विधयकों के कानून बनने पर राज्य में कृषि भूमि पर अवैध कालोनियां बनाने पर रोक लग सकेगी। अब 3 कनाल की बजाए एक एकड़ से कम जमीन की रजिस्ट्री के लिए एनओसी लेनी होगी। इसके अलावा नए कानूनों से सिनेमाघरों की तरह डिजिटल नेटवर्किंग साइट पर भी मनोरंजन शुल्क लगाने, फल और सब्जियों की बिक्री पर ग्रामीण विकास शुल्क लगाने, धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं तथा गौशालाओं-नंदीशालाओं के लिए 5 एकड़ तक भूमि नगर निगमों द्वारा आबंटित करने तथा नवगठित नगर निगमों के चुनाव 5 वर्ष और छह माह के भीतर करवाने का रास्ता साफ हो गया है। यही नहीं, अब नगर निकायों के चुने हुए मेयरों और अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। नगर परिषदों में दो बच्चों के नियम को भी हटा दिया गया है। कुल मिलाकर, सरकार ने इन विधेयकों के जरिए जनता पर टैक्स थोंपने, सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं को लाभ पहुंचाने तथा अपने चुने हुए मेयरों व अध्यक्षों को सुरक्षा-क्वच देने का ही काम किया है।
इन विधेयकों के अतिरिक्त, सदन में पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020 भी प्रस्तुत किया गया, जिस पर अगले सत्र में चर्चा करने का निर्णय लिया गया। बीएसी की बैठक में न बुलाने तथा सदन में बोलने का मौका न दिए जाने पर इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने वॉकआउट कर अपना विरोध जताया।