आप सभी को 77वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! बीते 76 वर्षों में भारत ने न केवल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठा हासिल की है, बल्कि अन्य देशों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। करीब 350 साल की औपनिवेशिक पराधीनता के चलते कंगाल हो चुका भारत…
Category: संपादकीय
सत्यपाल मलिक का विस्फोटक इंटरव्यू – कर दी सरकार की खाट खड़ी
पुलवामा हमले के लिए गृह मंत्रालय की लापरवाही को बताया मुख्य कारण भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को लपेटा अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल व पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) एक बार फिर चर्चा में हैं। किसान आंदोलन के दौरान राज्यपाल पद…
महिला उत्पीड़न और हमारा समाज
तथाकथित उच्च वर्ग के लोगों द्वारा कमज़ोर तबके की लड़कियों के यौन शोषण की घटनाओं पर समाज और शासन-प्रशासन का नज़रिया अक्सर परेशान करने वाला रहता है। घटना कितनी भी अमानवीय क्यों न हो, आमतौर पर प्रशासन उसे दबाने या दोषियों को बचाने के प्रयास करते दिखता है। साथ ही, बहुसंख्यक समाज भी इस पर…
निरंकुश पुलिस सभ्य समाज के लिए खतरा
पिछले दिनों तमिलनाडु के तूतीकोरिन में हिरासत के दौरान पुलिसिया दमन की एक विभत्स घटना सामने आई है। मोबाइल फोन की दुकान चलाने वाले 58 वर्षीय पी जयराज और 38 वर्षीय उनके बेटे बेन्निक्स को पुलिस हिरासत में बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया, जिसके कारण दोनों की मौत हो गई। उनकी गलती सिर्फ इतनी…
क्रूरता और संवेदनहीनता के दौर में….
संपादकीय -15 पिछले दिनों हमारे आसपास कई ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिन पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। लॉकडाउन 4.0 के बाद सरकार ने अनलॉक 1.0 का ऐलान करते हुए छूट के दायरे को और बढ़ा दिया है। क्या यह सोचने वाली बात नहीं है कि जब देश में कोरोना लगभग नियंत्रण में…
रक्षा बजट घटाने और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने का यह उपयुक्त समय है
संपादकीय -14 सामाजिक चिंतक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हमेशा मानते रहे हैं कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। इसलिए वे देश की सुरक्षा की आड़ में हथियारों पर किए जाने वाले बेतहाशा खर्च का भी विरोध करते हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि नागरिकों की शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक क्षमताओं का विकास ही…
क्या है कोरोना को हराने का मूल-मंत्र : लॉकडाउन, केरल मॉडल, टेस्टिंग या बेहतर ईलाज?
संपादकीय – 13 देश और दुनिया में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। मौतों का सिलसिला भी बदस्तूर जारी है। भारत अभी सामुदायिक संक्रमण से बचा हुआ दिख रहा है, लेकिन लगता है कि ‘धारावी’ जैसे कुछेक स्थानों पर यह समुदाय में घुस भी चुका है। भारत में कम केसों और कम मौतों के…
महामारी से लड़ रहे योद्धाओं को सलाम!
संपादकीय – 12 पूरी दुनिया में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। रोज हजारों लोग मर रहे हैं। भारत में भी यह धीरे-धीरे पांव फैला रहा है। पूरा देश परेशान है। ज्यादातर लोग अपने घरों में बंद रहकर करोना के खिलाफ जंग में शामिल हो रहे हैं। हां, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो…
कोरोना के खिलाफ जंग : सावधानी और फिजिकल डिस्टेंसिंग में छुपा है जीत का मंत्र
संपादकीय – 11 दिन पर दिन कोरोना की स्थिति भयावह होती जा रही है। चीन के बाद इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन,फ्रांस आदि उन देशों में भी हालात बेकाबू हैं, जहां मेडिकल सुविधाओं की कोई कमी नहीं है और स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा काफी चुस्त-दुरुस्त है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वहां के लोगों…
दिल्ली की जनता को सलाम!
दिल्ली की जनता ने देश को नई राह दिखाई है। सीएए-विरोध, जामिया-जेएनयू हिंसा, शाहीनबाग आदि के इर्दगिर्द हिंदू-मुस्लिम के नाम पर जनता को बांटने वाली नकारात्मक राजनीति को दरकिनार कर दिल्लीवासियों ने विधानसभा चुनाव में विकास के मुद्दे पर वोट दिया। 9 महीने पहले लोकसभा चुनाव में ‘आप’ को 18 प्रतिशत वोट देकर चित्त करने…