रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया है कि देश के बैंकों द्वारा 50 बड़े विलफुल डिफाल्टर्स, यानी जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के 68,607 करोड़ रुपए के कर्ज की राशि बट्टे खाते में डाल दी गई है। इन विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची में भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और शराब किंग विजय माल्या के नाम भी शामिल हैं। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सूचना अधिकार कानून के तहत दी गई जानकारी में सामने आई है।
आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले के अनुसार जो जानकारी सरकार ने नहीं दी, वह आरबीआई के केंद्रीय जन सूचना आधिकारी अभय कुमार ने दे दी। उन्होंने बताया कि 24 अप्रैल को प्राप्त हुई इस जानकारी में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। रिजर्व बैंक ने बताया कि 68607 करोड़ रुपए की इस राशि में 30 सितंबर, 2019 तक बकाया और टेक्निकली या प्रूडेंशियली बट्टे खाते में डाली गई रकम शामिल है। इससे पहले की रिपोर्ट में एक चूक हो गई थी, जिसे अब सुधार लिया गया है। गोखले के अनुसार आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2015 के फैसले का हवाला देते हुए विदेशी कर्जदारों के संबंध में जानकारी देने से मना कर दिया था।
आरटीआई में प्राप्त सूचना के अनुसार इन पूंजीपतियों में भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी और विजय माल्या के भी नाम हैं। मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर बकाया 5,492 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए हैं। आरईआई 4,314 करोड़ रुपए के साथ दूसरे नंबर पर और विंसम डायमंड्स 4,076 करोड़ रुपए के साथ तीसरे नंबर पर है। रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को 2,850 करोड़ रुपए, कुदोस केमी लिमिटेड को 2,326 करोड़ रुपए और जूम डेवलपर्स के 2,012 करोड़ रुपए बट्टे खाते में चले गए हैं।
गौरतलब है कि गोखले ने सूचना का अधिकार कानून के तहत रिजर्व बैंक से 50 विलफुल डिफाल्टर्स का ब्योरा और उनके द्वारा लिए गए कर्ज की 16 फरवरी तक की स्थिति का के बारे में जानकारी मांगी थी। गोखले का कहना है कि उन्होंने यह आरटीआई इसलिए डाली क्योंकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा संसद के बजट सत्र के दौरान इस संदर्भ में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देने से इनकार कर दिया था।
राहुल गांधी ने लगाए सरकार पर आरोप
मेहुल चौकसी, नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे बड़े पूंजीपतियों के 68 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज को बट्टे खाते में डाले जाने के दावे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने संसद में इस बारे में किए गए उनके प्रश्न का उत्तर न देकर सच छुपाने की कोशिश की थी। पार्टी ने इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। राहुल गांधी ने 28 अप्रैल को ट्वीट करके कहा कि संसद में उन्होंने एक प्रश्न पूछा था कि देश के उन 50 बड़े लोगों के नाम बताइए, जिन्होंने जानबूझकर बैकों के करोड़ों रुपए का कर्ज नहीं चुकाया। लेकिन वित्त मंत्री ने उनके प्रश्न का जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसलिए सच को छुपाया, क्योंकि चोरों में भाजपा के मित्रों के नाम थे। राहुल ने 16 मार्च को लोकसभा के मौखिक प्रश्नों की प्रति भी ट्वीट की है, जिसमें उनका सवाल पांचवें नंबर पर है।
इधर,आरबीआई ने 68000 करोड़ रुपए के कर्ज को बट्टे खाते में डालने की बात से इनकार किया है। रिजर्व बैंक के प्रवक्ता का कहना है कि आरबीआई न तो किसी को कर्ज देता है और न ही उसे राइट ऑफ करने, यानी बट्टे खाते में डालने का काम करता है। आरबीआई प्रवक्ता के अनुसार यह कदम बैंकों द्वारा एनपीए (फंसे हुए कर्ज) के लिए प्रावधान करने के बाद उठाया जाता है।