प्रदेश सरकार ने 2017 में नियुक्त 9500 जेबीटी को बड़ी राहत देते हुए स्कूल शिक्षा विभाग की तबादला प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी है। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने नियुक्ति के 3 साल पूरा होने पर इन्हें तबादलों में हिस्सा लेने की छूट दी है। मौलिक शिक्षा निदेशक प्रदीप कुमार ने 21 जुलाई को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। इनका 3 साल का कार्यकाल मई 2020 में पूरा हो गया है।
गौरतलब है कि शिक्षा निदेशालय जल्दी ही जेबीटी की तबादला प्रक्रिया शुरू करने वाला है। पिछले साल भी इन शिक्षकों ने तबादला प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन कोर्ट में केस होने के कारण उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल पाई। अब 3 साल का कार्यकाल पूरा हो जाने पर इनकी यह मांग मान ली गई है। हालांकि, इन अध्यापकों को अभी स्थाई जिले नहीं मिले हैं और ये अस्थाई तौर पर ही जिलों के स्कूलों में कार्यरत हैं। बता दें कि इनकी ज्वाइनिंग जिलों में स्वीकृत पदों से अधिक है। जिस कारण ये सरप्लस भी हैं।
असल में, प्रदेश में जेबीटी के 9870 पदों की भर्ती निकाली थी। इसके अंतर्गत मई 2017 में लगभग 9400 चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग दे दी गई। इस पर आपत्ति जताते हुए 2013 में एचटेट पास असफल अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए। इनकी याचिका पर हाई कोर्ट ने इन्हें भी भर्ती में शामिल करने का निर्णय सुना दिया।
ततपश्चात स्कूल शिक्षा विभाग ने संयुक्त चयन सूची निकाली, जिसके हिसाब से चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 12731 हो गई। इसे देखते हुए विभाग ने वरिष्ठता सूची में नीचे के 1250 शिक्षकों को जून में ही नौकरी से निकाल दिया। हालांकि, इन शिक्षकों को विभाग ने दिसंबर 2017 में अस्थाई आधार पर नियुक्त कर लिया।
विभाग के निर्देशानुसार, इन शिक्षकों को तबादला प्रक्रिया में कैडर चेंज पॉलिसी 2018 के तहत अपना विकल्प भरना होगा।