छात्र संगठनों के जबरदस्त विरोध के बाद 23 जून की शाम को सरकार ने एक पत्र जारी करते हुए निर्देश दिए हैं कि अब कॉलेजों में फाइनल परीक्षाएं नहीं कराई जाएंगी। इस पत्र के मुताबिक प्रदेश की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अब किसी भी सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होगी। अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को भी अन्य सेमेस्टर की ही तरह औसत अंकों के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा। प्रथम वर्ष के छात्र आंतरिक मूल्यांकनों के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोट किए जाएंगे।
इससे पूर्व सरकार ने 12 जून को फैसला किया था कि फाइनल सेमेस्टर को छोड़कर बाकी सभी विद्यार्थियों को प्रमोट कर दिया जाएगा। फाइनल के विद्यार्थियों की परीक्षा 1 से 31 जुलाई के बीच आयोजित की जाएंगी और उनका परिणाम 7 अगस्त तक घोषित कर दिया जाएगा। ये परीक्षाएं पहले की तरह ही परीक्षा केंद्रों पर होंगी, जहां सोशल डिस्टेंसिंग, सैनेटाइजेशन आदि के नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि इस दौरान होस्टल पूरी तरह बंद रहेंगे। परीक्षाओं के दौरान भी छात्रावास नहीं खोले जाएंगे।
यही नहीं, उस समय सरकार का यह भी मानना था कि प्रदेश से बाहर के विद्यार्थियों के लिए वर्तमान परिस्थितियों में परीक्षा देने के लिए आना और यहां ठहरना मुश्किल होगा, इसलिए ऐसे विद्यार्थियों को फाइनल की परीक्षा से भी छूट दे दी गई थी। उच्च शिक्षा विभाग ने बाकायदा इसके लिए पत्र जारी किया था, जिसमें परीक्षाओं के परिणाम की संभावित तारीख के साथ-साथ यह भी उल्लेख किया गया था कि प्रदेश से बाहर के छात्रों को परीक्षा से छूट रहेगी। उनका परिणाम आंतरिक मूल्यांकनों के आधार पर घोषित कर दिया जाएगा।
प्रदेश के विद्यार्थी इसी आधार पर सरकार के फैसले का विरोध कर रहे थे कि जब हरियाणा से बाहर के छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा लिए प्रमोट किया जा सकता है, तो हरियाणा के छात्र-छात्राओं को क्यों नहीं! छात्र एकता मंच, एसएफआई, इनसो, दिशा छात्र मोर्चा, एनएसयूआई, एबीवीपी आदि छात्र संगठनों का मानना है कि बहुत सारे छात्र गुरुग्राम, फरीदाबाद, यमुनानगर, जींद, सिरसा, कैथल, रिवाड़ी, महेंद्रगढ़, नूह व अन्य जिलों के दूर दराज के गांवो से आते हैं। छात्र एकता मंच (हरियाणा) के राज्य अध्यक्ष जसमिंदर का कहना था कि ‘बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते इन विद्यार्थियों के लिए भी परीक्षा देना उतना ही कठिन है, जितना बाहर के विद्यार्थियों के लिए है। फिर अगर प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को कोरोना से खतरा हो सकता है, तो क्या अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राएं उससे कैसे बचे रह सकते हैं! जबकि सब जानते हैं कि इतने छात्रों के इकठ्ठा होने से संक्रमण के फैलने की कहीं अधिक संभावना है। इसलिए बिना किसी हॉस्टल सुविधा, ट्रांसपोर्ट सुविधा और सैनिटाइजर व मास्क जैसी अन्य जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में परीक्षा आयोजित करना बेहद खतरनाक होगा।’
सभी छात्र संगठनों के सम्मिलित विरोध के चलते उच्च शिक्षा विभाग ने अब अपने पुराने निर्णय को पलटते हुए अंतिम समेस्टर के विद्यार्थियों सहित सभी को बिना परीक्षा के पास करने का लेटर जारी कर दिया है।