हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां काम न करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को वापिस बुलाने की पॉवर ग्रामीणों के पास होगी। इसके अलावा, पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने की भी तैयारी की जा रही है। प्रदेश के पंचायतीराज ढांचे में किया जा रहा यह बदलाव ग्रामीण परिवेश की महिलाओं के लिए क्रांतिकारी कदम होगा। विधानसभा सत्र में बिल लाकर इस पर चर्चा की जाएगी।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया है कि पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का सपना था कि चयनित प्रतिनिधि अगर लोगों में अपना विश्वास खो देता है तो जनता को ‘राइट-टू-रिकॉल’ का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कई बार सरपंच पर पद के दुरूपयोग के आरोप लगते हैं और जनता चाहती है कि उसको पद से हटाया जाए। ऐसे में, अगर ‘राइट-टू-रिकॉल’ का कानून बन जाएगा तो ग्रामीण मतदाताओं को सरपंच को हटाने का अधिकार मिल जाएगा।
डिप्टी सीएम ने बताया कि हरियाणा में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का बिल भी सदन में रखा जाएगा। इस बिल के पास होने से ग्रामीण आँचल में रह रहीं महिलाओं के लिए न केवल राजनीति के नए द्वार खुलेंगे बल्कि उन्हें खुद को साबित करने का एक महत्वपूर्ण मंच भी मिल जाएगा।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इसी तरह पंचायती राज संस्थाओं में बीसी-ए के लिए आठ प्रतिशत आरक्षण निर्धारित करने संबंधी बिल भी विधानसभा में लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसी सत्र में प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत नौकरियां देने का बिल भी लेकर आएंगे। उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य के लोगों को जल्द ही शहरी स्थानीय निकाय, नगर एवं आयोजना विभाग, खेल विभाग आदि में भी कई बदलाव देखने को मिलेंगे।