चमन में रंग-औ-बू है, तो होली है,प्यार की जुस्तजू है, तो होली है।मैं ही मैं हूं, तो फाग क्या ख़ाक होगा,संग में मेरे ‘गर तू है, तो होली है।हिज़्र की रात आंसुओं में बह जाए,वस्ल की आरजू है, तो होली है।ज़हर नफरत का दिल से निकल जाए,खुशी से गाल सुर्खरू है, तो होली हैक़त्ल-औ-ग़ारत से…
Category: साहित्य-संस्कृति
संडे थियेटर में होगा मंटों और गुलजार की तीन कहानियों का मंचन
विश्व रंगमंच दिवस और होली के उपलक्ष्य में 28 मार्च को संडे थियेटर में भारत-पाक बंटवारे के दर्द को समेटे तीन कहानियों का मंचन किया जाएगा। इनमें दक्षिण एशिया के मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो की कहानी ‘टोबा टेकसिंह’ और भारतीय फिल्मों के जाने माने गीतकार गुलजार की कहानी ‘सीमा’ तथा ‘रावी पार’ शामिल हैं।…
संडे थियेटर में हुआ हास्य नाटक ‘द मैरिज प्रोपोजल’
‘कहते हैं कि आमतौर पर झगड़ा पुरुष के अहम और स्त्री की ज़िद से शुरू होता है। नोक झोक तक तो ठीक है, लेकिन अगर तकरार लड़ाई-झगड़े में बदल जाए तो परिवार या रिश्तों के टूटने का सबब बन जाती है।’ यही बात उभरकर आई संडे थियेटर में 14 मार्च को हुए नाटक ‘द मैरिज…
संडे थियेटर में इस बार हुआ नाटक ‘आई लव हर, आई लव हिम’ का मंचन
‘जिंदगी में कुछ बनना है तो रिस्क तो लेना ही पड़ेगा।… गांव, जहां सुकून तो है, पर फ्यूचर नहीं है।…भीड़ में खोने के डर से भागकर गांव चले जाना आसान है जैसे आसान था गांव से भागकर यहां चले आना।… बस तुमने यही गलती कर दी कि तुम्हें सब कुछ जल्दी चाहिए, इसलिए मेहनत करने…
संडे थियेटर में हुआ चेखव के दो नाटकों का मंचन
सारी दुनिया। सप्तक रंगमंडल और पठानिया वर्ल्ड कैम्पस द्वारा आयोजित ‘संडे थियेटर’ में इस रविवार नाट्यप्रेमियों ने दो नाटकों, ‘ड्रॉन मैन’ और ‘सर्जरी’ का लुत्फ उठाया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नाटककारों में से एक एंटोन चेखोव के इन व्यंग्य नाटकों ने दिनों-दिन खत्म हो रही मानवीय संवेदनाओं पर गहरे कटाक्ष किए। स्थानीय रंगकर्मियों की पहल पर…
अपने समय के सजग सिपाही अली सरदार जाफ़री – इम्तियाज अहमद गाज़ी
भारत-पाक ही नहीं, समूचे दक्षिण एशिया की आम जनता की बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के पैरोकार अली सरदार जाफ़री का जन्म गुलाम भारत में हुआ। उनका पूरा घराना मजहबी था। उन दिनों मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवारों में गुलो-बुलबुल की शायरी की बजाय अनीस के मरसिए और नात-ओ-हम्द ही पढ़े-सुने जाते थे। आज भी मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवारों का…
पुस्तक समीक्षा : चौधरी छोटूराम एक चिंतन
– रोहित नारा, सहायक प्रोफेसर, ऑल इंडिया जाट हीरोज मेमोरियल कॉलेज, रोहतक अधिकांश उत्तर भारत चौधरी छोटू राम के नाम से परिचित है। समूचे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान उन्हें अपना मानता है। उनके जीवन, कार्यों और उनकी विचारधारा पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। किसान मसीहा और दलितोद्धारक के…
पुस्तक समीक्षा : ‘बाइटिगोंग’ को पढ़ने पर…… – रेनू यादव
सुरेन्द्र पाल सिंह जी द्वारा लिखित ‘बाइटिगोंग’ किताब एक ही सांस में पढ़कर खत्म की है। एक मित्र के माध्यम से ‘बाइटिगोंग’ मिली तो पढ़ने के लोभ को रोक नहीं पाई। ‘बाइटिगोंग’ का टाइटल और कवर फोटो देखकर किसी को भी यह धोखा हो सकता है कि यह मात्र यात्रा वृतान्तों का संकलन होगा, लेकिन…
कविता: “आज मन एकाकी है“
– मीनू हुड्डा दिशाएँ सर्वत्र ओढ़े नितांत मौन हैं,मर्यादाएँ समस्त, पूर्णतया गौण हैं,हवाओं में न कहीं गर्मजोशी है,अजस्त्र मरघट सी खामोशी है,ओ रे माझी! थाम लो पतवार,अविलम्ब चलो बीच मझधार,कि मुझमें अभी जीवन बाक़ी है।आज मन एकाकी है।। हुआ शुष्क तरु सा अतृप्त जीवन,आवेशों व आवेगों में लिप्त जीवन,ख़ालिस कुंठाओं से पटा जीवन,निर्बाध शंकाओं से…
“मेरे गाँव की साँझ”
(कवयित्री – मीनू हुड्डा) अक्सर याद आती है मेरे गाँव की साँझ,सुरीली साँझ, सुरमई साँझ। जैसे अलादीन के चिराग़ से जिन्न निकलता था,मेरे गाँव की साँझ से संगीत उपजता था।कुलदेव का महिमा-मंडन करते जल और फूल,गोधूलि में कच्चे रास्तों पर उड़- उड़ जाती धूल,घोले बैलों की घंटियों की टन- टन,नयी नवेली चूड़ियों की खन-खन,बतियाती पाजेबों…